शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

वाल्मीकि समाज


ये है कालीचरण वाल्मीकि ,जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय वाल्मीकि जन विकाश मंच , बदायूं .इसके अलावा इस फोटो में मुकेश कुमार वाल्मीकि और अनिल विराट भी है. कालीचरण वाल्मीकिने २००५ से वाल्मीकि समाज के उत्थान के लिए लग गए. वे मल सर पर ढोने के प्रबल विरोधी है. इस कारण वे लगातार इस काम के लिए सक्रिय है. तत्कालीन डी एम बदायूं -अमित गुप्ता और यूनिसेफ के सहयोग के कारण प्रशासन का भी सहयोग उसे इस काम में मिल रहा है. कालीचरण वाल्मीकि के मन में अपने समाज के इस अमानवीय हालत के लिए इतनी पीड़ा है कि वे लगातार उसके उत्थान की बाते सोचते रहते है. वे गाँव - गाँव जा कर वाल्मीकि समाज को समझाने कि कोशिश करते है कि लोग भिखारी से भी दूरी बना कर बात नहीं करते पर हम लोगो से करते है. इस कारण यह पेशा हमे छोड़ देना चाहिए ,इसमें सम्मान नहीं है. उनके साथ के लोग कहते है कि हमारे घर पर अगर मुर्दा भी पड़ा हुआ है तो लोग कहेगे कि पहले हमारे घर का काम करके जाओ फिर अपने घर का मुर्दा उठाना. हमारे प्रति संवेदन शीलता लोगो की नाम मात्र की नहीं है. हमारे घर की जवान बेटी अगर किसी के घर मल उठाने जाती है तो उसके साथ बदतमीजी भी हो सकती है. इस लिए ये सब काम हम छोड़ने की वकालत करते है अपने समाज के लोगो से. इस पेशे से जुड़े हमारे लोगो को चर्म रोग ,श्वास रोग, पोलिओ की बीमारी हो जाती है.
कालीचरण वाल्मीकि कहते है शिक्षा से हमारे समाज के कुछ लोगो में सामाजिक परिवर्तन आया है. वे घर साफ सुथरा रखते है. कुछ लोग बाहर कमाने चले गए है तो वे जब गाँव आते है तो लोग उनसे घृणा नहीं करते. अनिल विराट का कहना है कि उनके समाज से उनकी बुआ विदेश में अमेरिका में है उनोह ने पैसे भेज कर उनका घर पक्का बनवा कर दिया है. जो डीपीआरओ ( जिला पंचायत अधिकारी ) के घर के सामने है. उनके समाज से एक परिवार इंग्लैंड में रहता है जिनकी एक बेटी ब्रिटिश airways में एयरहोस्टएस है. कुछ लोग समाज के तरक्की कर चुके है पर अभी काफी लोग मल ढोनेवाली नरक की जिंदगी में पड़े है. उनेह ऊपर उठाना कालीचरण वाल्मीकि,मुकेश कुमार वाल्मीकि और अनिल विराट के जीवन का लक्ष्य है. कालीचरण वाल्मीकि अपने समाज के लोगो को धमकी भी देते है कि अगर उनोह ने यह काम नहीं छोड़ा तो बेटी और रोटी का रिश्ता उनसे तोड़ लिया जाये गा. आज world toilet day है . इस दिन के लिए ये कहानी इन संघर्षशील लोगो को समर्पित.
माधवी श्री