अगर किसी पत्रकार मित्र को कुछ लिखना हो शीला दीक्षित की बाहरवालों को दिल्ली में आने की सलाह पर तो यह बता दे शीला जी को कि दिल्ली को विकाश के लिए देश का कितना प्रतिशत बजट मिलता है और गरीब गाँव को कितना. अगर देश के गरीब गाँव को भी अगर इतना मिलना शुरू हो जाये और उसका विकाश शुरू हो जाये तो कोई दिल्ली नहीं आना चाहेगा.
जब देश का पैसा लगा हो किसी जगह तो हर देशवासियो का अधिकार होता है उस जगह पर.
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3 टिप्पणियां:
क्या करिएगा लोकतांत्रिक देश होने का यही एक बुराई है कि कोई भी इसके साथ खिलबाड़ कर सकता है। आज पूरे देश में यही हो रहा है। कहीं मराठी,कहीं राजस्थानी तो कहीं असामिया, भारतीय होने की बात तो अब सभी भूल ही गए ह।
अस्सी वर्ष की सयानी केन्द्रीय नेतृत्व से आशीर्वाद प्राप्त देहली में खूब मेट्रो चलवा रही है ..... और क्या कह सकता हूँ .... जनता के पैसो की बरबादी करना तो कोई इन्ही से सीखें ...
मैने आपको जाना ।अच्छा लगा। अशोक बंसल मथ्ुरा 09837319969
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