भोपाल गैस कांड से कुछ सवाल उठाते है - जैसे कि क्या किसी भारत के आम आदमी के सहायता हेतु भारत का कोई भी मुख्य मंत्री अपनी प्लेने दे सकता है ? कोई मुख्य सचिव सीधे फ़ोन उठा कर किसी आम जनता की रवानगी के लिए कदम उठा सकते है, कोई पुलिस अधीक्षक किसी आम जनता के लिए इतनी तत्परता से काम कर सकता है जैसा कि ANDERSON के केस में हुआ. हमारे देश में DM सीधे -मुंह तो आम जनता से बात नहीं करती पर ANDERSON के केस में उसे अपनी गाड़ी ही पकड़ा दी....इसे कहते है बिजली की गति से काम करना . कौन कहता है हमारे नौकरशाह और नेता ढीले ढाले है......?
फिर हम संप्रभुता सम्प्पन देश है , जिसके मुंह में तमाचा मार कर ANDERSON पूरी चाक- चौबंद भारतीय पुलिस सुरक्षा में नेताओ की अत्यधिक तत्परता में भाग गया या भगा दिया गया . हमसे अच्छे तो अमेरिकी है जिसकी सरकार अपने आदमी / नागरिक को बचाने के लिए हमारे नेताओ की कान पकड़ कर काम करवा लेते है और हम है कि अपने ही देश के २० हजार आम जनता के कातिल की भागने में मदद करके बाद में कोर्ट - कचहरी में २५ साल से नाटक कर रहे है इंसाफ दिलवाने का....पता नहीं मीडिया बंधू इस पर क्यों इतना भिड़े हुए है... आज की तारीख में उसपर भी भरोसा करने का मन नहीं करता ... पर फिर भी उन्ही के कारण यह मुद्दा लोगो तक फिर से जिन्दा हुआ है... कही मीडिया बंधू अपनी ताकत जातवा कर सरकार से कुछ ऐठने के चक्कर में तो नहीं है ....बिना भाव के तो तरकारी भी नहीं बिकती यहाँ पर फिर ये तो मीडिया की ताकत की बोली है....जितनी ताकतवर मीडिया उतनी बड़ी उसकी बोली....गुलाम है हम आज भी तभी वर्दी में खड़ा पुलिसवाला भगवा देता है अपने ही देशवाशियो के कातिल को ....ये सोच कर कि कातिल सफ़ेद चमड़ी वाला है जिसने हम पर वर्षो शासन किया....हाय रे आजादी ....मेरा भारत महान....
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3 टिप्पणियां:
nice article
nice article
baat bilkul ahi hai.. lekin yesab akhir kab tak
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