गुरुवार, 9 दिसंबर 2010
दिल्ली अंतररास्ट्रीय आर्ट समारोह
२ दिसंबर को दिल्ली अंतररास्ट्रीय आर्ट समारोह की शुरुआत जाज़ और हिन्दुस्तानी संगीत के साथ " ली मरिडियन होटल" में हुई . ३ दिसंबर से १२ दिसंबर तक दस दिनों में दिल्लीवासी एक साथ देशी - विदेशी संगीत, गायन -नृत्य , पेंटिंग ,कठपुतली कला ,नाटक , छोटे - फिल्मो का मज़ा ले सके गे. ४५ स्थानों पर विविध रंगों में दिल्ली अंतररास्ट्रीय आर्ट समारोह का मज़ा लिया जा सकता है. दिल्ली के रोहिणी ,द्वारका के अलावा गुडगाँव ,फरीदाबाद ,नॉएडा जैसे दूरदराज समारोह स्थलों को भी इस सास्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से जोड़ने की कोशिश की गयी है. बड़े- बड़े कलाकारों को आप बिना किसी टिकेट के देख सुन सकते है. २००७ में यह समारोह एक हज़ार कलाकारों के साथ शुरू हुआ था आज इससे जुड़ने वाले कलाकारों की संख्या चार हज़ार के लगभग हो गयी है.
अशोका होटल के प्रांगन में मिस्र के सूफी गायकों ने जब अपने सुर में अल्लाह से खुद को जोड़ा तो लगा मिस्र के सूफी कलाकारों के साथ मिस्र के बालू , मिट्टी और संगीत की खुशबु हवा में फ़ैल गयी. अल्फाज़ भले ही उनके हिन्दुस्तानी दर्शको को समझ में नहीं आये पर संगीत की जुबान ही कुछ और होती है, वो तो दिल के तारो को झंकृत कर देती है और श्रोता मंत्र - मुग्ध हो कर झूमने लगे . ऐसा ही कुछ रविवार की शाम को दिल्ली अंतररास्ट्रीय आर्ट समारोह के सूफियाना संगीत के अवसर के दौरान हुआ था. मव्लावेया दरविश की प्रस्तुति से वहां बैठे हिन्दुस्तानी दर्शक झूम उठे.उनके सहयोगी नर्तक एक घंटे तक रूहानी तबियत से ऐसा झूमे की दर्शक दातो तले उंगलिया दबाने के लिए मजबूर हो गए.
उसी रविवार को तीन मूर्ति भवन में लेनिन राजेंद्र द्वारा निर्देशित मकर मंजू फिल्म जो विख्यात चित्रकार राजा रवि वर्मा के जीवन पर आधारित है दिखाई गयी. इसके अलावा हंगरी और ताईवान की फिल्मे भी यहाँ दिखाई गयी. ड़ी एल ऍफ़, बसंत कुञ्ज में मधुबनी, कालीघाट और गुजरात के जोगी चित्रकला की प्रदर्शनी लगाई गयी है.
इसके अलावा रसियन सांस्कृतिक केंद्र में रसियन और भारतीय नृत्य बच्चो ने पेश किये . इस केंद्र में रसियन और भारतीय चित्रकारों की कलाकृति भी प्रदर्शित की गयी. इसके साथ रसियन नाश्तो के साथ विश्व चाय पार्टी का भी आयोजन था. इस दस दिवाशिया समारोह में दिल्ली वाशी विश्व के विभिन्न सांस्कृतिक झलक का मज़ा ले सकते है.
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