सोमवार, 16 मार्च 2009

चुनाव -2009

अभी सारी पार्टिया जनता को उल्लू बनने में लगी हुई है और जनता प्रजातंत्र के नाम पर उल्लू बननेको तैयार पड़ी है । वैसे भी कहा गया है जनतंत्र में वैसे ही नेता चुन कर आता है जैसी जनता होती है। जनता ने सपने देखना छोड़ दिया इसलिए Rahul गाँधी जब तक pm की gaddi की लिए पुरी तरह से तैयार नही हो jate Manmohan जी gaddi samhale ge। वैसे congress को गली देकर कोई khas fayada नही Laloo जी ने भी तो Rabri Devi ही दिया bihar को वहा कौन सी जनतंत्र से चुनकर CM आया । सभी पार्टी का यही हाल है चाहे वो P .sangma की बेटी हो हो, शरद पवार की बेटी हो ,करूणानिधि के बेटे हो या राज & udhaw thackeray हो। पार्टी के अन्दर जनतंत्र नही है और चले है देश में जनतंत्र लाने । असल में हम system के khilaf आँख, नाक , कान बंद कर के बैठ गए है और सोचते है की कोई कृष्ण आएगा हमें उबारने। दो सौ साल की गुलामी ने हमें यथासिथितिवाद का पोसक बना दिया है।
सरकार किसी भी पार्टी की आए ,खरीद -फरोत होगी , MP ख़रीदे जनता फिर उल्लू बनेगी और अगले चुनाव तक अपनी मुठ्ठी भिचे रहेगी .पत्रकार भाई सोचेगे हमने अच्छी पहरेदारी की जनतंत्र की , कुछ को मुआवजा या कीमत या बेलआउट भी मिल जाए गा । जिनको नही मिला वो उस लायक बनने की कोशिश करे गे की अगले चुनाव तक कुछ हैसियत बना ले taki कुछ kamaya ja सके। tab तक के लिए nare lagate रहो और chilate rahoooooo।
जय हो जनतंत्र की.........................

2 टिप्‍पणियां:

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

जिस देश की जनता अकर्मण्य और मूर्ख और सोने वाली हो, उसे पतन से कोई नहीं बचा सकता है. भारत की जो स्थिति है उसे सुधारने का सिर्फ एक ही रास्ता बच्चा है, और वह है - जनक्रांति.

kamlesh yadav ने कहा…

dikkat ye hai ki sab log sirf kahte hai karte kuch nahi