बुधवार, 31 दिसंबर 2008
तबले का जादूगर
पुन्दारिक भगवत जी से मेरी मुलाकात तानसेन संगीत समारोह -२००८ में हुई थी .पुन्दारिक जी के तबले ने अपना जो जादू मुझ पर डाला था वो अभी तक बरक़रार है.न, धिन,धिना का लगातार वादन वो जो करते है वो संगीत का समां बाँध देता है.तबले पे उनके हाथ की धाप से जो आवाज़ निकलती है वो ही यह बतला देती है की वो अपनी कला में कितने पारंगत है। banaras gharana के kalakar pundarik जी शिव की नगरी varanasi me रहते है.
वाइस प्रेजिडेंट जी के निवास पर महिला पत्रकारों का दल
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
ताज के साथ कुछ गुफ्तगू
तानसेन समारोह के लिए ग्वालियर जन पड़ा.उसी सिलसिले में ताज हेरिटेज में रुकना हुआ.१२० साल पुराना महल जिसे सिधिया परिवार ने बनवाया था इंग्लैंड के राजा- रानी के स्वागत के लिए।
सब से सुंदर मुझे वह जो लगा वो था दरवाजे पर लटका पुराना ताला और दरवाजे का हेन्डल उसे देख कर मुझे मेरी दादी की अलमारी और उनके दरवाजे का टला याद आ रहा था । दादी बहु शक्त थी अपने अलमारी और कमरे को ले कर . अब तो वैसे ताले और हान्डेल नही देखने को मिले गे। ताज हेरिटेज में अब सिक्यूरिटी बहुत बढ़ा दी गयी है आतकवाद के मद्दे नजर.पूरे परिसर में एक मन्दिर है ,एक तीन शंकर जी का लिंग है जिसकी पूजा होटल के कर्मचारी करते है.एक सुंदर सा पूल है तैरने के लिए.उस पूल के बगल में दो शेर लेते हुए है। जिसे देखना बहुत सकूँ देता है।एक झूला भी है मैदान में। जिसे मैंने बाद में देखा। मुझे दोल्कन सारा ताज घुमाने अन्तिम दिन लगाई थी। दोल्कन मणिपुर से है। बहुत प्यारी सी.अब नॉर्थ-ईस्ट वाले सिर्फ़ नॉर्थ-ईस्ट में नही रह गए है वो अब मुख्य धारा में शामिल हो गए है।
सब से सुंदर मुझे वह जो लगा वो था दरवाजे पर लटका पुराना ताला और दरवाजे का हेन्डल उसे देख कर मुझे मेरी दादी की अलमारी और उनके दरवाजे का टला याद आ रहा था । दादी बहु शक्त थी अपने अलमारी और कमरे को ले कर . अब तो वैसे ताले और हान्डेल नही देखने को मिले गे। ताज हेरिटेज में अब सिक्यूरिटी बहुत बढ़ा दी गयी है आतकवाद के मद्दे नजर.पूरे परिसर में एक मन्दिर है ,एक तीन शंकर जी का लिंग है जिसकी पूजा होटल के कर्मचारी करते है.एक सुंदर सा पूल है तैरने के लिए.उस पूल के बगल में दो शेर लेते हुए है। जिसे देखना बहुत सकूँ देता है।एक झूला भी है मैदान में। जिसे मैंने बाद में देखा। मुझे दोल्कन सारा ताज घुमाने अन्तिम दिन लगाई थी। दोल्कन मणिपुर से है। बहुत प्यारी सी.अब नॉर्थ-ईस्ट वाले सिर्फ़ नॉर्थ-ईस्ट में नही रह गए है वो अब मुख्य धारा में शामिल हो गए है।
शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
दिल्ली में जीवन
दिल्ली में जीवन कोलकाता की तरह उतना सीधा -साधा नही है ,पर फिर भी यहाँ आनद आ रहा है मुझे .शुरू -शुरू में कुछ समस्याए सामने आइ थी जैसे पैदल बहुत चलना पड़ जाता था , ऑटो का किराया बहुत मंहगा ,जो भी सामान खरीदना है वो पहले से लिस्ट बना लो ,तरफी करते हुए कोई काम नही चलेगा. लेकिन धीरे-धीरे जीवन ने अपनी रफ्तार लेनी शुरु की अब लोग भी आपने से लगने लगे है।
दिल्ली में जो एक बात मुझे नही पसंद आती है वो है माँ- बहन की गाली। जिसे देखो माँ-बहन की गाली देते रहते है.मजे की बात ये है की गाली देने वाला भी खुश और सुनने वाला भी खुश , समझ में नही आता माजरा क्या है।
दिल्ली में एक इलाका है सी आर पार्क जहा जा कर लगता है कोलकाता मे आ गए .वहाँ पुचका , चाव्मिन, रस्गोल्ला, संदेश,कड़ा पाक, कचागोल्ला सभी मिल जाता है। कभी- कभी लगता है मै एक साथ दो- दो शहरों में जी रही हूँ .
दिल्ली में जो एक बात मुझे नही पसंद आती है वो है माँ- बहन की गाली। जिसे देखो माँ-बहन की गाली देते रहते है.मजे की बात ये है की गाली देने वाला भी खुश और सुनने वाला भी खुश , समझ में नही आता माजरा क्या है।
दिल्ली में एक इलाका है सी आर पार्क जहा जा कर लगता है कोलकाता मे आ गए .वहाँ पुचका , चाव्मिन, रस्गोल्ला, संदेश,कड़ा पाक, कचागोल्ला सभी मिल जाता है। कभी- कभी लगता है मै एक साथ दो- दो शहरों में जी रही हूँ .
बुधवार, 10 दिसंबर 2008
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