सोमवार, 15 दिसंबर 2008

ताज के साथ कुछ गुफ्तगू

तानसेन समारोह के लिए ग्वालियर जन पड़ा.उसी सिलसिले में ताज हेरिटेज में रुकना हुआ.१२० साल पुराना महल जिसे सिधिया परिवार ने बनवाया था इंग्लैंड के राजा- रानी के स्वागत के लिए।
सब से सुंदर मुझे वह जो लगा वो था दरवाजे पर लटका पुराना ताला और दरवाजे का हेन्डल उसे देख कर मुझे मेरी दादी की अलमारी और उनके दरवाजे का टला याद आ रहा था । दादी बहु शक्त थी अपने अलमारी और कमरे को ले कर . अब तो वैसे ताले और हान्डेल नही देखने को मिले गे। ताज हेरिटेज में अब सिक्यूरिटी बहुत बढ़ा दी गयी है आतकवाद के मद्दे नजर.पूरे परिसर में एक मन्दिर है ,एक तीन शंकर जी का लिंग है जिसकी पूजा होटल के कर्मचारी करते है.एक सुंदर सा पूल है तैरने के लिए.उस पूल के बगल में दो शेर लेते हुए है। जिसे देखना बहुत सकूँ देता है।एक झूला भी है मैदान में। जिसे मैंने बाद में देखा। मुझे दोल्कन सारा ताज घुमाने अन्तिम दिन लगाई थी। दोल्कन मणिपुर से है। बहुत प्यारी सी.अब नॉर्थ-ईस्ट वाले सिर्फ़ नॉर्थ-ईस्ट में नही रह गए है वो अब मुख्य धारा में शामिल हो गए है।

1 टिप्पणी:

उन्मुक्त ने कहा…

आपकी चिठी पढ़ मुझे भी अपने परिवार की धरोहर याद आ गयी।

चलिये मुझे एक और बकबक करने वाला मिला। मैं स्वयं इसी नाम से हिन्दी मे पॉडकास्ट करता हूं।

आप हिन्दी में बहुत अच्छा लिखती हैं। इसी में क्यों नहीं लिखती या हिन्दी का एक अलग चिट्ठा बना लें।

कृपा कर वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। मेरी उम्र के लोगों को यह तंग करता है।