बुधवार, 31 दिसंबर 2008

तबले का जादूगर

पुन्दारिक भगवत जी से मेरी मुलाकात तानसेन संगीत समारोह -२००८ में हुई थी .पुन्दारिक जी के तबले ने अपना जो जादू मुझ पर डाला था वो अभी तक बरक़रार है.न, धिन,धिना का लगातार वादन वो जो करते है वो संगीत का समां बाँध देता है.तबले पे उनके हाथ की धाप से जो आवाज़ निकलती है वो ही यह बतला देती है की वो अपनी कला में कितने पारंगत है। banaras gharana के kalakar pundarik जी शिव की नगरी varanasi me रहते है.

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

पुन्दारिक भगवत जी आगे भी काफी नाम कमाएं....उनको मेरी को बहुत बहुत शुभकामना।