पब पर हमला करने वालो का कहना है कियहाँ महिलाये और युवतिया ग़लत कामकर रही है , संस्कृति से बिमुख हो गई है .उन्हें राह पर लाने के लिए ये सब किया जारहा है।
सही है भाई साहब, जो कर रहे है वो सब सही है। पर क्या इन भाई साहबो को रेड एरिया में बिकती हुई माँ- बहने नही दिखती । क्या उन्हें बचाना इनकी जिम्मेदारी नही है? उन्हें इस दल-दल से निकलना क्या इनका फ़र्ज़ नही बनता, या वेश्यालय होना हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है हर शहरो में?
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3 टिप्पणियां:
आप सादर आमंत्रित हैं, आनन्द बक्षी की गीत जीवनी का दूसरा भाग पढ़ें और अपनी राय दें!
दूसरा भाग | पहला भाग
हमला भी कभी सही हो सकता है?
चलिये बकबक करने वाला एक और तो मिला।
युवतियों पर हमला ठीक नहीं था पत हमें से कई जाने क्यों, साफ कहते डरते हैं।
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