आप ने कभी सोचा है कि हमारी सरकार आज- कल जनसँख्या के बारे में बिल्कुल नही सोच रही है । जनसँख्या पर उसके पास कोई ठोस नीति नही है। सड़क पर बच्चे भटक रहे है ,भीख मांग रहे है, ढाबे पर काम कर रहे है , सड़क पर रेड लाइट पर किताब बेच रहे है, नागे भूके घूम रहे है। पर सरकार एक कानून पास कर के खुश - बाल मजदूरी निरोधक कानून। मानों कानून पास हुआ नही कि बच्चो कि स्थिति में सुधर अपने आप हो जाए गा। दिल्ली जैसे शहर में जब ये हाल है जहा कानून पास होता है, पत्रकार, नेता , नौकरशाह भरे पड़े है तब तो दिन दहाड़े बाल मजदूरी चल रही है। तो सोचिये गरीब जनता कि स्थिति गाव में कैसी होगी।
अंधी सरकार - अंधी जनता।
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4 टिप्पणियां:
बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने और बाल मजदूरों का कल्याण दो अलग-अलग मुद्दे हैं। जलसंख्या काबू करना तो मुश्किल ही है, लेकिन जहां तक सवाल है बाल मजदूर कल्याण का तो कानून की किताब में कितने ही क्लॉज जोड़ने के बाद भी ये काम नहीं थमने वाला। इसकी रोकथाम के लिए पहले गरीबी को काबू करना होगा। विकास में सभी वर्गों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी और दूसरा काम है जागरुकता अभियान। बिना पेट में रोटी के भाषण नहीं सुहाते।
जनसंख्या सबसे बड़ी समस्या है जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा.
YES.
WE ALL HAVE TO BE CAREFUL AND MOTIVATE THEM.
IF POSSIBEL THEN REPLY ME THROUGH EMAIL.
RAMESH SACHDEVA
hpsshergarh@gmail.com
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