बुधवार, 7 अक्टूबर 2009

स्त्री और साधू

एक जेन कहानी सुनाने का मन कर रहा है आपको (शायद आपको पसंद आये ) - दो monk कही यात्रा कर रहे थे, एक युवा था एक थोडा बुजुर्ग . नदी के किनारे उनेह एक स्त्री मिली जो नदी पार करना चाहती थी पर उसे तैरना नहीं आता था. उसने साधुओ से प्राथना की कि नदी पार करने में वे उसकी सहायता करे. जब युवा साधू उसकी मदद करना चाह रहा था तब बुजुर्ग साधू ने उसे मना किया कि उनेह स्त्रीयों को हाथ लगाने की मनाही है. स्त्री ने फिर साधू से विनय की . युवा साधू ने उसके विनय को सुनते हुए उसे अपनी पीठ पर बिठा लिया और तैर कर नदी पार हो गया, पार हो कर उसने स्त्री को वही नदी किनारे उतार दिया. बुजुर्ग साधू को यह सब पसंद नहीं आया . जैसे ही वे मठ पहुचे , उसने तुंरत सभी मठ वासियो को बताना शुरु कर दिया कि युवा साधू ने लड़की को कंधे में विठा कर कर नदी पार करवाई है. सभी उसकी बाते ध्यान से सुनने लगे. जब युवा साधू से पुछा गया तो उसने बुजुर्ग साधू की और देख कर कहा - मैंने तो लड़की को सिर्फ नदी पार करने तक ढोया , और नदी पार करते ही उसे उतार दिया आप तो उसे अभी तक ढो रहे है....
हमारे देश में बहुत सारे लोग है जो औरतो को दिमाग में ढोते फिरते है..ये कहानी उनके लिए है...और उनके लिए भी जो बेकार कि चीजो को अपने दिमाग में जगह देते है...

1 टिप्पणी:

मनोज द्विवेदी ने कहा…

achchha hai..kahani se sikh milti hai. apki yatra bhi kam dilchasp nahi hai. WOMEN ON TOP hindi monthly magzine ke TOP WOMEN column me apka profile dena chahta hun..
Manoj Dwivedi
Sub-editor
WOMEN ON TOP HINDI MONTHLY MAGAZINE
9899413456