बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

दिल्ली पुलिस

एक मजेदार घटना बताती हूँ . अभी हाल में मै और मेरी एक मित्र पुरानी दिल्ली स्थित टाऊन हॉल में बदाली बंधू का गायन सुनने गए थे अंतररास्ट्रीय आर्ट फेस्टिवल के अर्न्तगत. वहा से लौटते वक़्त रात के कोई नौ बज गए थे . तो हम जरा जल्दी में थे. मेरी मित्र आगे बढ़ कर रिक्सा कर रही थी हम चाहते थे कि मेट्रो पकड़ ले ताकि घर पहुचने में सुविधा हो जाये. वो मेरे से थोडा आगे जा कर रिक्सा पकड़ रही थी , तभी मैंने देखा कोई पुलिसवाला उससे बाते कर रहा है. मैंने सोचा पता नहीं क्या हुआ क्यों कि पुलिस को देख कर वैसे भी हमारे मन में अच्छे विचार जरा कम आते है. जब मै वहा पहुची तो वो पुलिसवाला उससे कह रहा था कि अपने सामान ठीक से रखिये, रात को यहाँ छिनतई हो जाती है. मजे कि बात है उपदेश देनेवाला पुलिसवाला पूरी चढाये हुए था. मुझे उसे देख कर हसी भी आयी और गुस्सा भी .पूरी दारू चढा कर ये बन्दा अंतररास्ट्रीय आर्ट फेस्टिवल में ड्यूटी करने आया है. मैंने उनसे कहा कि ठीक है अगर आपको इतनी चिंता है तो मेट्रो तक हमारे साथ चले. तब वो तमक कर मुझसे बोले - आप जैसी तो बहुत आयीगी , यहाँ मेरे पास इतना टाइम नहीं है. तो मैंने कहा कोई बात नहीं हम अपनी देख भाल खुद कर लेगे.
ये घटना मैंने आप सब से ब्लॉग पर बाटने की सोची , पर तभी एक दिन दिल्ली के एक आला पुलिस अफसर से मेरी मुलाकात किसी काम के सिलसिले में हुई. तो मैंने इस घटना का जिक्र किया. उस आला पुलिस अफसर ने बड़े धयान से मेरी बात सुनी , फिर अंत में बोले - उसने आपको या आपकी मित्र को छेडा तो नहीं न. फिर क्यों चिंतित हो रही है.
इस बार मेरी स्थिति पहले से भी ज्यादा असमंजस वाली थी , समझ में नहीं आया हसूं या गुस्सा करू .

6 टिप्‍पणियां:

kishore ghildiyal ने कहा…

vakai is delhi police ke baare me kuchh bhi kehna mushkil hain.....aapki soch va vichar achhe lage kabhi fursat ho to "aatmvichar"par bhi ghumiyega

M VERMA ने कहा…

दीपक तले अन्धेरा

समयचक्र ने कहा…

क्या कहें इन पुलिस वालो की विचारधारा को .....

संगीता पुरी ने कहा…

आज पुलिसवालों से कोई आशा की जा सकती है .. अपनी मर्जी के मालिक हैं वे !!

Udan Tashtari ने कहा…

नमन करिये ऐसी फौज को...और अपनी सतर्कता खुद बरतें.

अजय कुमार झा ने कहा…

इसका सार ये कि दिल्ली पुलिस के अफ़सरों के पास अपने स्टाफ़ की ज्यादा अपडेटेड जानकारी होती है...उन्होंने दिल्ली पुलिस से अवेल की जाने वाली एक और फ़ैसिलिटी बता दी न..अजी छेडने वाली...तभी तो कहते है..दिल्ली पुलिस सदैव आपके लिये आपके साथ..

आपको लूटने के लिये..
आपको छेडने के लिये..
आपको तंग करने के लिये..

और भी है लिस्ट लंबी है ..बाद में मेल करता हूं..