पुरुष तुम समझते हो कि औरतो में सारे गुण
केवल तुम भरते हो .
अगर तुमेह ऐसा लगता है तो एक काम करो
रेड एरिया से एक देह उठा लाओ
और भर दो उसमे सारे गुण .
नहीं ? नहीं कर सकते ?
ओह, मै तो भूल गयी
तुम ही तो जाते हो वहां अपना बोझ हल्का करने.
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2 टिप्पणियां:
नहीं यह पुरुष बहुत स्वार्थी ,खुदगर्ज़ , अहंकारी और न जाने क्या क्या है यह कभी स्वीकार नही करेगा यह सब । खुद गुण भरने का श्रेय लेता है और जब स्त्री को प्रताड़ित करना होता हि तो कहता है " तुझे यही सिखाया गया है ?" अच्छी कविता है अक्रोश है थोड़ा ..लेकिन चलेगा ।
पुरुष का एक चित्र पिता के रूप मे मेरे यहाँ भी देखिये प्लीज़..
http://kavikokas.blogspot.com
और इसके पहले नवरात्र मे प्रकाशित नौ कवयित्रियो की कविताये भी देखियेगा .. आपके भीतर कुछ आग है ऐसा महसूस किया है इसलिये कह रहा हूँ
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