शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

दिल्ली में "बाडीर दुर्गो पूजो "


कोलकाता मै जा नहीं पाई इस बार भी दुर्गा पूजा के समय , तो पिछले दो सालो की तरह मैंने इस बार भी दिल्ली में इधर -उधर घूमने का फैसला किया और सोचा यहाँ कि यहाँ के पूजा पंडाल देख कर पूजा मना लूगी. पिछले साल मै दिल्ली इम्पेरिअल ज़ोन (बागला साहब गुरुद्वारा के सामने ) में दुर्गा पूजा मना कर आयी. उसके पहले साल चितरंजन पार्क में पूजा मना कर आई. इस बार हमारे महिला पत्रकार क्लब में वरिष्ठ पत्रकार निलोवा रोय चौधुरी ने सभी महिला पत्रकारों को अपने घर की पूजा में आमंत्रित किया. मै कई बार उनसे मिल चुकी लेकिन कभी उनसे खुल कर बाते नहीं हुई, पर जब मैंने उनसे उनके घर आने का निर्देश पूछा तो उनोह ने बड़ी आत्मीयता से मुझे समझाया. जब उनके घर महाअष्टमी के दिन गयी तो "बाडीर पूजो " (घर की पूजा ) देख कर मन खुश हो गया .हमारे बंगाल में महाष्टमी की अंजलि का बड़ा महत्व है. उस दिन मुझे अंजलि दे कर बड़ा सकून मिला . पूजा कर के जब निकली तो लगा दिल्ली में बंगाल की पूजा की याद ताजा करने में निलोवा जी को कितनी मेहनत लगी होगी क्योंकि बंगला टेस्टवाली पूजा का सामान इकठ्ठा करना यहाँ दिल्ली में आसन नहीं है. निलोवा जी की मेहनत हम जैसे परदेशियों को कितना सकून और अपनापन दे जाती है यह मै शब्दों में नहीं बया कर सकती . यह दुर्गा माँ की तस्वीर निलोवा जी के "बाडीर पूजो पंडाल " की है.

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