प्राय आपको हमारे समाज में ऐसे धुरंदर मिल जाये गे जो आपको बार -बार याद दिलाते रहते है कि वे औरतो की कितनी इज्ज़त करते है. ऐसे सज्जनों का एक बंधा-बंधाया मानसिक दृष्टिकोण होता है कि स्त्रियों की इज्ज़त करनी चाहिए और ये एक बहुत महत्वापूर्ण कार्य है और इस कार्य को करने पर स्त्रियों की इज्ज़त में कितना इजाफा होता है यह तो मुझे नहीं मालूम पर ये सोचते है कि इनकी इज्ज़त में इजाफा जरूर होना चाहिए क्योंकि आखिरकार ये महिलाओ की इज्ज़त जैसा महत्वपूर्ण कार्य जो कर रहे है.
प्राय अधिकतर पुरुष इन विचारो से ग्रषित मिलते है .पर उनका भी दोष नहीं है आखिरकार हमारा समाज उनेह बचपन से यही बताता आया है कि वे लड़कियो से श्रेष्ठ है और लड़कियो की इज्ज़त कर वे उनपर बड़ा अहसान कार रहे है. क्यों की वर्षो से आजतक लड़कियो के जिन्दा रहने का हक उसके पैदा होने के पहले उसके घरवाले तय करते है कि उसे इस संग दिल समाज में आना चाहिए या नहीं. आज भी अगर कोई माता -पिता अपनी बेटी को बराबरी का दर्जा देते है तो लोग उनेह चेतावनी स्वरुप कहते है "बेटी को बेटा जैसा बना रहे है , बाद में नतीजा भुगतिएगा. सरकार चाहे जितने भी इश्तहार लगवा ले पर जब तक आम जनता के सोच में परिवर्तन नहीं आता ये स्वरुप नहीं बदल सकता. इस अथक कार्य के लिए समाज के हर हिस्से से प्रयास होते रहना चाहिए. तभी बदलाव की हवा चल सकती है .
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2 टिप्पणियां:
bahut sundar man khush ho gaya
excellent post
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