दिल्ली सरकार के बस ड्राईवरओ की शुरुआती तन्खावह पन्द्रह हज़ार रुपये होती है , फिर उसमे कुछ सेनिओर या बड़े वाहन से जुड़ा ALLOWANCE अगर मिला दिया जाये तो कुल मिला कर उनकी तन्खाव बीस हज़ार हो जाती है .
पर हमारे मीडिया में एक पढ़े - लिखे पत्रकार की शुरुआती तन्खावह क्या होगी ज्यादा से ज्यादा ५- १० -१५ हज़ार. इससे ज्यादा तो बिलकुल नहीं.
तो हुए न दिल्ली सरकार के बस ड्राईवर पत्रकार से बेहतर.
तो आगे से दिल्ली सरकार के बस ड्राईवर बनियो पर पत्रकार न बनियो.
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4 टिप्पणियां:
सौ टका सही है बस चलाने वाले
तो दूर की बात बात है रिक्सा
चालक भी ज्यादा कमाते हैं
सादर वन्दे
सच्चाई एक और है, इ मिडिया वाले कई साल तो विना वेतन के इंटर्नशिप में काम करा लेते है, और भाई लोग पत्रकार के नाम पर कर भी लेते हैं सोचते है खाने को तो मिल ही रहा है, आगे वेतन भी मिल जायेगा,
सच तो ये है की हमारी राजनीति की तरह देश का चौथा स्तम्भ भी नाली की तरह बजबजा रहा है,
रत्नेश त्रिपाठी
जब बस सरकारी न रहेगी तो ये ड्राइवर भी ज्यादा न पाएगा
सही बात है, इतना पैसा लगाने के बाद भी मीडिया में ५-६ हजार से जयादा शुरुआत की उम्मीद नही की जा सकती...पैसो के मामले में तो डिटीसी के ड्राईवर हमसे वढिया है...वैसे ड्राईवर की भर्ती हो तो बताइयेगा...जानकारी देने के लिए धन्यवाद मैं तो बेकार में ही मीडिया में भविष्य देख रहा था...असलियत में तो हमे डीटीसी में जाना चाहिए....
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